350 वर्ष पुराना खाटू श्याम जी का स्तुति गान - Shri Shyam Pachchisi, इसमें आमेर के सांगानेर निवासी दुर्गादास द्वारा रची गई श्याम पचीसी का वर्णन है।
{tocify} $title={Table of Contents}
श्याम पच्चीसी ब्रजभाषा का काव्य ग्रन्थ है जिसकी रचना 1674 ईस्वी में हुई थी। इस ग्रन्थ में श्याम बाबा का कृष्ण के विविध रूप और नामों के द्वारा स्तुति गान किया गया है।
आज से लगभग 350 वर्ष पहले के ग्रंथों और लोकगीतों में श्यामजी का वर्णन मिलता है जिससे ये स्पष्ट हो जाता है कि खाटू श्यामजी का देवरा यानि पूजा स्थल कितना प्राचीन है।
श्याम पच्चीसी का स्त्रोत, Shyam Pachchisi Ka Source
यह श्याम पच्चीसी मशहूर इतिहासकार पंडित झाबरमल्ल शर्मा की किताब खाटू श्यामजी का इतिहास से ली गई है। पंडित झाबरमल्ल शर्मा ने यह श्याम पचीसी, जयपुर के सिटी पैलेस के पोथीखाने से मूल श्याम पच्चीसी की नकल करके हमारे सामने पेश की है।
श्याम पच्चीसी का रचनाकाल और लेखक, Shyam Pachchisi Ka Rachnakal Aur Lekhak
श्याम पच्चीसी की रचना 1674 ईस्वी (1731 विक्रम संवत) कार्तिक की कृष्ण सप्तमी रविवार को दुरगदास कायथ या दुर्गादास माथुर (कायस्थ) ने की थी।
$ads={1}
श्याम पच्चीसी के रचयिता दुर्गादास सांगानेर के निवासी थे। ये आमेर के महाराजा रामसिंह प्रथम के राज्यकाल में रूप कवि थे। इनकी तत्कालीन राज दरबार में अच्छी पहुँच थी।
श्याम पच्चीसी का महत्व, Shyam Pachchisi Ka Mahatv
इस श्याम पच्चीसी के माध्यम से श्याम जी के स्तुति गान के साथ-साथ तत्कालीन ऐतिहासिक जानकारी यानि रियासत, भाषा, धर्म, लोक जीवन आदि के बारे में भी जानकारी मिलती है।
इन्होंने श्याम पच्चीसी में लिखा है कि महाराजा रामसिंह प्रथम भी खाटू श्याम जी के दर्शनों के लिए गए थे। गौरतलब है कि आमेर के महाराज राम सिंह प्रथम, मिर्जा राजा जय सिंह प्रथम के पुत्र थे।
महाराजा रामसिंह प्रथम 1667 से लेकर 1688 ईस्वी तक आमेर के शासक रहे थे। 1666 ईस्वी में जब शिवाजी महाराज आगरा के किले से इनकी कस्टडी से भाग निकले थे तब उसका दोषी इन्हें माना गया था।
ये भी पढ़ें खाटू श्याम चालीसा पाठ के क्या लाभ हैं?
खाटू श्याम जी की कृष्ण के रूप में ही पूजा की जाती रही है इसलिए कवि ने श्याम पच्चीसी में कृष्ण के विविध रूप और नामों के जरिये श्याम जी का स्तुति गान किया है। श्याम पच्चीसी ब्रजभाषा का काव्य ग्रन्थ है।
इसमें ढूँढारी बोली के साथ-साथ राज काज की भाषा फारसी और उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आज से लगभग 350 वर्ष पहले हिंदी कविता किस रूप में लिखी जाती थी।
ये भी पढ़ें खाटू श्याम की सबसे प्राचीन प्रार्थना
श्याम पचीसी की हस्तलिखित मूल प्रति सवाई मान सिंह (द्वितीय) म्यूजियम, सिटी पैलेस, जयपुर के पोथीखाने में सुरक्षित है।
श्याम पच्चीसी की विशेषताएँ, Shyam Pachchisi Ki Visheshtayen
श्याम पच्चीसी के रचयिता रूप कवि दुरगदास कायथ ने इस काव्य के 15 सोपान किए हैं जिनमे 112 दोहे, 24 सवैया, और 5 छप्पय शामिल हैं।
इन 15 सोपानों में गणेश प्रणाम, सरस्वती प्रणाम, ग्रन्थ और कवी परिचय, बास वर्णन, तेज प्रकाश वर्णन, राजधानी वर्णन, छत्र वर्णन, साहिब वर्णन, उदारता वर्णन, शरणाई वर्णन, तरन वर्णन, चरित वर्णन, अधिकार वर्णन, माहात्म्य वर्णन, काल प्रस्तुति और परिचय शामिल है।
लेखक
उमा व्यास {एमए (शिक्षा), एमए (लोक प्रशासन), एमए (राजनीति विज्ञान), एमए (इतिहास), बीएड}
Tags:
Blog