खाटू में श्याम बाबा का चमत्कारी शीश - Khatu Shyam Mandir Rajasthan

खाटू में श्याम बाबा का चमत्कारी शीश - Khatu Shyam Mandir Rajasthan, इस लेख में खाटू श्याम मंदिर के निर्माण, इतिहास और कथा के बारे में बताया गया है।

Khatu Me Shyam Baba Ka Chamatkari Sheesh

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सीकर जिले का खाटूश्यामजी कस्बा बाबा श्याम के मंदिर की वजह से सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। बाबा श्याम की इस पावन धरा को खाटूधाम के नाम से भी जाना जाता है।

खाटू श्याम जी को हारे के सहारे के नाम से क्यों जाना जाता है?, Khatu Shyam Ji Ko Hare Ke Sahare Ke Naam Se Kyon Jana Jata Hai?


कहते हैं कि बाबा श्याम उन लोगों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं जो लोग सब जगह से निराश हो जाते हैं, हार जाते हैं इसलिए इन्हें हारे के सहारे के नाम से भी जाना जाता है।

खाटू श्याम मंदिर किसने बनवाया?, Khatu Shyam Mandir Kisne Banwaya?


श्याम कुंड में बर्बरीक का सिर मिलने के बाद खाटू श्याम मंदिर का निर्माण रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने 1027 में करवाया था।

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मुगल बादशाह औरंगजेब के काल में उनके आदेश से इस मंदिर को तोड़ा गया था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद, 1720 ईस्वी (विक्रम संवत 1777) में अभय सिंह द्वारा एक नया मंदिर बनवाया गया था।

खाटू का नाम खाटू श्याम कैसे पड़ा?, Khatu Ka Naam Khatu Shyam Kaise Pada?


बाबा श्याम के मंदिर की वजह से यह गाँव खाटूश्यामजी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु अपने आराध्य के दरबार में शीश नवाने खाटू नगरी आते हैं।

खाटू श्याम मंदिर की वास्तुकला, Khatu Shyam Mandir Ki Vastukala


बाबा श्याम का मंदिर कस्बे के बीच में बना हुआ है। मंदिर के दर्शन मात्र से ही मन को बड़ी शान्ति मिलती है। सफेद संगमरमर से निर्मित यह मंदिर अत्यंत भव्य है।

मंदिर में पूजा करने के लिए बड़ा हाल बना हुआ है जिसे जगमोहन के नाम से जाना जाता है। इसकी चारों तरफ की दीवारों पर पौराणिक चित्र बने हुए है।


गर्भगृह के दरवाजे एवं इसके आसपास की जगह को चाँदी की परत से सजाया हुआ है। गर्भगृह के अन्दर बाबा का शीश स्थित है। शीश को चारों तरफ से सुन्दर फूलों से सजाया जाता है।

मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं के लिए बड़ा सा मैदान है। मंदिर के दाँई तरफ मेला ग्राउंड था लेकिन अब इसमे दर्शनों के लिए रेलिंग लगा दी गई है।

खाटू श्याम जी की कथा, Khatu Shyam Ji Ki Katha


बर्बरीक के खाटूश्यामजी के नाम से पूजे जाने के पीछे एक कथा है। इस कथा के अनुसार बर्बरीक पांडू पुत्र महाबली भीम के पौत्र थे। इनके पिता का नाम घटोत्कच एवं माता का नाम कामकंटका (कामकटंककटा, मोरवी, अहिलावती) था।

बर्बरीक ने देवियों की तपस्या करके उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। हारने वाले पक्ष की सहायता करने के उद्देश्य से नीले घोड़े पर सवार होकर ये कुरुक्षेत्र के युद्ध में भाग लेने के लिए आए।

भगवान कृष्ण ने ब्राह्मण के वेश में एक तीर से पीपल के सभी पत्तों को छिदवाकर इनकी शक्तियों को परखा। बाद में दान स्वरूप इनका शीश मांग लिया। फाल्गुन माह की द्वादशी को बर्बरीक ने कृष्ण को अपने शीश का दान दे दिया।

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कृष्ण ने बर्बरीक को कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया। युद्ध समाप्ति के पश्चात बर्बरीक का शीश रूपवती नदी में बहकर खाटू ग्राम में आ गया।

खाटू में बर्बरीक का शीश कहाँ पर निकला?, Khatu Me Barbarik Ka Sheesh Kahan Par Nikla?


11वीं सदी में जब खाटू गांव में श्याम कुंड के उस स्थान पर खुदाई की गई थी जहां एक गाय के थन से स्वत: ही दूध बह रहा था, तो वहां बर्बरीक का शीश निकला।

खाटू श्याम मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?, Khatu Shyam Mandir Kisne Banwaya Tha?


1027 ईस्वी में, रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर द्वारा निर्मित मंदिर में बर्बरीक के सिर का अभिषेक किया गया। मुगल बादशाह औरंगजेब के काल में मूल श्याम मंदिर को नष्ट कर यहां एक मस्जिद का निर्माण किया गया था।


औरंगजेब की मृत्यु के बाद, 1720 में अभय सिंह द्वारा नए स्थान पर मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया। बाद में यह गाँव बाबा श्याम के मंदिर के कारण खाटूश्यामजी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

खाटू श्याम जी के कितने नाम हैं?, Khatu Shyam Ji Ke Kitne Naam Hain?


बाबा श्याम को श्याम बाबा, तीन बाण धारी, नीले घोड़े का सवार, लखदातार, हारे का सहारा, शीश का दानी, मोर्वीनंदन, खाटू वाला श्याम, खाटू नरेश, श्याम धणी, कलयुग का अवतार, दीनों का नाथ आदि नामों से भी पुकारा जाता है।

खाटू श्याम मंदिर मैप लोकेशन, Khatu Shyam Mandir Map Location



लेखक
उमा व्यास {एमए (शिक्षा), एमए (लोक प्रशासन), एमए (राजनीति विज्ञान), एमए (इतिहास), बीएड}
GoJTR.com

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