कितने दिन भरता है लक्खी मेला? - Khatu Shyam Falgun Lakkhi Mela, इसमें खाटू श्याम जी के फाल्गुन लक्खी मेले के कार्यक्रमों की पूरी जानकारी है।
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खाटू श्याम मंदिर में मनाये जाने वाले त्यौहारों में श्याम बाबा का फाल्गुन लक्खी मेला यानि फागोत्सव प्रमुख त्यौहार है। यह मेला राजस्थान के सबसे बड़े और प्रमुख उत्सवों में शामिल है।
खाटू फाल्गुन लक्खी मेला कब भरता है?, Khatu Falgun Lakhi Mela Kab Bharta Hai?
बाबा श्याम का शीश फाल्गुन सुदी एकादशी को श्याम कुंड वाली जगह प्रकट हुआ था और द्वादशी को इन्होंने भगवान कृष्ण को अपने शीश का दान दिया था इसलिए मेले का आयोजन फाल्गुन महीने की द्वादशी तक किया जाता है।
सामान्यतः यह मेला दस दिनों तक चलता है। मंदिर के प्रमुख त्यौहार में फाल्गुन मेला सबसे बड़ा है। यह मेला फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर द्वादशी (बारस) तक चलता है। एकादशी को मेले का मुख्य दिन होता है।
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खाटू श्याम के फाल्गुन मेले की क्या खास बात है?, Khatu Shyam Ke Falgun Lakhi Ki Kya Khaas Baat Hai?
बाबा श्याम के फाल्गुन मेले को निशान यात्रा या फाल्गुन महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। फाल्गुन मेले के दौरान विशेष निशान यात्रा का आयोजन किया जाता है।
यह पवित्र यात्रा खाटू धाम से 18 किमी दूर रींगस से शुरू होती है। इस यात्रा में श्याम जी के भक्त हाथों में निशान (ध्वज) लेकर पैदल खाटू श्याम मंदिर तक जाते हैं।
देश भर से बाबा श्याम के भक्त 10 दिनों के लिए खाटू में आते हैं। मेले के समय लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम का निशान लेकर नाचते गाते खाटूश्यामजी के दर्शन करने आते हैं।
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भक्तजन मंदिर में बाबा के भक्तों की सेवा करते हैं। भक्तों के खाने पीने के लिए निशुल्क भंडारे चलाते हैं। इसके साथ मंदिर में झाड़ू पोछा लगाकर साफ सफाई भी करते हैं।
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मेले में विशेष भजन संध्याओं का आयोजन किया जाता है जिनमें प्रसिद्ध भजन गायक आते हैं और अपने भजनों से भक्तों का आध्यात्मिक मनोरंजन करते हैं। बाबा के भक्त भक्ति में खो जाते हैं और मंत्रमुग्ध होकर नाचने लगते हैं।
कुछ भक्त गुलाल से खेलते हैं। मेले के अंतिम दिन बाबा के लिए खीर और चूरमा का विशेष प्रसाद बनाया जाता है जिसे बाद में सभी भक्तों को दिया जाता है।
मेले में आने वाले कई श्रद्धालु होली तक खाटू नगरी में रुकते हैं और होली के दिन बाबा श्याम के दरबार में रंगों का त्यौहार मनाने के पश्चात अपने घर प्रस्थान करते हैं।
लेखक
उमा व्यास {एमए (शिक्षा), एमए (लोक प्रशासन), एमए (राजनीति विज्ञान), एमए (इतिहास), बीएड}
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